अक्षुण है धर्म-आध्यात्म विज्ञान व परमात्मा का विधान-साध्वीमृगावती
बीकानेर। रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में चल रहे भक्तामर पूजन व अभिषेक में गुरुवार को साध्वीश्री मृगावती, सुरप्रिया व नित्योदया के नेतृत्व सर्व कल्याणकारी श्री मानतुंगाचार्य द्वारा रचित श्री भक्तामर स्तोत्र की 35 व 36वीं गाथा के अनुसार भगवान आदिनाथ, उनके यंत्र का पूजन व अभिषेक किया गया। पूजा व अभिषेक तथा प्रभावना का लाभ सुश्रावक कंवर लाल नाहटा परिवार के मनीष, जितेश, महावीर, पानमल, देवेन्द्र कुमार, धवल, शुभम व खुश नाहटा परिवार ने लिया।
साध्वीश्री मृगावती ने प्रवचन में कहा कि भौतिक, रासायनिक व जीव विज्ञान से परे धर्म-आध्यात्म विज्ञान प्रेरणादायक व जीव मात्र के लिए कल्याणकारी है। भौतिक व रासायनिक क्रिया का प्रभाव बदलता रहता है । धर्म आध्यात्म विज्ञान और परमात्मा के विधान का प्रभाव परमात्मा भक्ति, श्रद्धा व विश्वास से अक्षुण रहता है। उन्होंने एक कहानी के माध्यम से बताया कि भक्तामर स्तोत्र की गाथा का स्मरण, गायन करते हुए परमात्मा आदिनाथ ध्यान धरने पर एक व्यापारी को डूबते पानी के जहाज से जीवनदान मिला तथा सिंह आदि हिंसक जीवों की मनोवृति बदल गई । इसी तरह भक्तामर स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में आने वाली सभी कठिनाईयां, परेशानियां दूर होती है तथा सर्व मंगल होता है।
2022-09-29 06:23:00