बिरसा मुंडा की जयंति-जनजातीय दिवस के रूप में मनाई।



बीकानेर। अगर हमारी आवाज को दुनिया के सामने रखना है तो हमें सामुहिकता का रास्ता अपनाना होगा। ये उद्बोधन कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संचालित जन शिक्षण संस्थान, बीकानेर की ओर से वाल्मिकी बस्ती, बीकानेर में जनजातिय दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं जन प्रतिनिधि सुभाष मेघवाल के है, उन्होंने इस अवसर पर कहा कि बिरसा मुंडा ने अपने जीवन को जनजातियों के विकास में लगाने के साथ-साथ उनकी आवाज को दुनिया के कई देशों तक पहुंचाया और सफलता प्राप्त की। हमें उनके मार्ग पर चलकर सामाजिक विकास को नया रास्ता दिखना है।
कार्यक्रम अधिकारी महेश उपाध्याय ने बिरसा मुंडा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 15 नवम्बर 1875 में किसान के गरीब परिवार में मुंडा का जन्म हुआ था। मुंडा एक जनजातीय समूह से है। बिरसा ने 1900 में आदिवासी लोगों को संगठित करने का कार्य शुरू किया यह देखकर ब्रिटिश सरकार ने  इन्हें गिरफ्तार कर लिया और दो साल तक जेल में रखा। मुंडा ने अपना अभियान छोड़ा नहीं। मुंडा ने 1 अक्टूबर 1894 में नौजवान नेता के रूप में सभी मुंडाओं को एकत्रा कर अंग्रेजों से लगान माफी के लिए आन्दोलन किया । भारत सरकार ने 10 नवम्बर, 2021 को 15 नवम्बर यानि बिरसा की जयंती को जनजातीय दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी।
सहायक कार्यक्रम अधिकारी तलत रियाज़ ने कार्यक्रम का संयोजन करते हुए कहा कि बिरसा मुंडा जनजाति समूह के मसीहा थे। साथ ही आपने कहा कि संस्थान कौशल विकास के साथ समय-समय  पर सामाजिक सरोकार की गतिविधियों का आयोजन भी करता है। इस अवसर संदर्भ व्यक्ति सरस्वती चावरियां, उषा चावरियां, खुशबू सोंलकी के अलावा परवीन समेजा, अनवर हुसैन ने भी अपने विचार रखे।


2022-11-15 20:47:35