श्वेत संगमरमर पाषाण से बने शिवबाड़ी के गंगेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर में प्रतिमाओं का प्रवेश 20 को.
बीकानेर। शिवबाड़ी के प्राचीन भगवान गंगेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर का जीर्णोंद्धार व नवीनीकरण कर श्वेत संगमरमर पाषाण से भव्य रूप् में बनाया गया है। मंदिर में भगवान गंगेश्वर पार्श्वनाथ, भगवान नेमीनाथ व शांतिनाथजी की प्रतिमाओं का प्रवेश जैन विधि के अनुसार 20 नवम्बर को होगा। सड़क से 45 फीट ऊंचें शिखरबंध मंदिर के निर्माण कार्य को पूर्ण करने का कार्य इन दिनों प्रगति पर है।
श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट से जुड़े श्री पार्श्वनाथ जिन मंदिर ट्रस्ट शिवबाड़ी के सदस्यों हस्तीमल सेठी, भीखमचंद बरड़िया, मनोज सेठी व हेमंत खजांची ने रविवार को बीकानेर में पूर्ण रूप् से सफेद संगरमर से बने मंदिर के गंभारा (निज मंदिर) में मूलनायक पार्श्वनाथ के साथ नेमीनाथ व भगवान शांति की सफेद संगमरमर की जयपुर में बनी 17 से 27 इंच ऊंची प्रतिमाओं का प्रवेश करवाया जाएगा। मंदिर के सात गर्भगृहों में भगवान महावीर, आदिनाथ, दादा गुरुदेव के पगलिए, शासन माता चक्रेश्वरी देवी, घणेन्द्र पद््मावती, भोमियाजी, व नाकोड़ा भैरव की प्रतिमाओं को प्रतिष्ठित किया जाएगा।
श्री पार्श्वनाथ जिन मंदिर जीर्णोद्धार ट्रस्ट के हस्तीमल सेठी ने बताया कि जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के गच्छाधिपति आचार्य जिन मणिप्रभ सूरीश्वर, खतरगच्छाचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वर, पूर्णानंद सूरीश्वर व मनोज्ञ सूरीश्वर महाराज की आज्ञा से होने वाले भव्य गाभारा प्रवेश समारोह का लाभ रास-रसना, रस मधुर परिवार के गणेश बोथरा परिवार ने लिया है।
सेठी ने बताया कि मंदिर का निर्माण विचक्षण ज्योति, प्रवर्तनी, महामांगलिक प्रदाता साध्वी स्वर्गीय चन्द्रप्रभा की साक्ष्य व प्रेरणा से जनवरी 2013 में मंदिर का जीर्णोद्धार व नवीनीकरण कार्य शुरू किया गया। करीब आठ वर्षों से सकल श्री संघ के सहयोग से कार्य चल रहा है तथा चंदन कक्ष, पुजारी कक्ष उपासरा आदि के निर्माण कार्य में एक वर्ष का समय और लगेगा।
सेठी ने बताया कि 80 गुणा 100 वर्ग फीट के इस मंदिर परिसर में 44 गुणा 64 वर्गफीट में मंदिर का निर्माण कार्य करवाया गया है। मंदिर के निर्माण में 35 घन फीट सफेद मकराना का शुद्ध डेढ़ क्वालिटी का सफेद मार्बल का उपयोग किया गया है। जैन वास्तुकला व डिजाइन के अनुसार मंदिर के खम्भे, छत, गुम्बज व गर्भगृहों का निर्माण करवाया गया है।
अहमदाबाद के इंजीनियर व वास्तु शिल्पी कमलेश भाई के निर्देशन में हुआ है वहीं पत्थरों को कलात्मक रूप् देने का कार्य मकराना के मकसूद अली व उनकी टीम ने तथा जड़ाई का कार्य जोधपुर के रमाकांत भाई व उनकी टीम ने किया है। मंदिर का मुख्य द्वार 32 फीट ऊंचा सफेद संगमरमर का ही कलात्मक रूप से बनाया जा रहा है। मंदिर के मुख्य द्वार के आगे पार्क व फुलवारी आदि से सौन्दर्यकरण किया जाएगा।