दिवंगत पत्रकार और साहित्यकार डॉ. भंवर सुराणा की स्मृति में हुआ काव्य पाठ। देश भर से आए चर्चित कवि और साहित्यकार.
उदयपुर। कला साहित्य एवं संस्कृति को समर्पित नई दिल्ली की संस्था राब्ता एवं आरएनटी मेडिकल कॉलेज की संस्था रवीन्द्र स्पंदन के सम्मिलित तत्वावधान में शनिवार को राजस्थान की पत्रकारिता के पुरोधा पत्रकार स्व. डॉ. भंवर सुराणा सा. की स्मृति में भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन शहर के रवीन्द्र नाथ टैगोर मेडिकल कॉलेज के सभागार में किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रवीन्द्र नाथ टैगोर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. लाखन पोसवाल और अध्यक्षता राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम के संस्थापक अध्यक्ष, वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार अनिल सक्सेना ने की। अति विशिष्ट अतिथि जोधपुर से पधारे, राष्ट्रीय हिंदी कवि दिनेश सिंदल एवं विशिष्ट अतिथि सलूंबर से पधारीं डॉ .विमला भंडारी की उपस्थिति ने कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलन से किया गया । मुख्य अतिथि डॉ . लाखन पोसवाल ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए साहित्य का महत्व बताते हुए स्व. डॉ. भंवर सुराणा जी को स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने डॉ सुराणा की स्मृति में कार्यक्रम को सच्ची श्रद्धांजलि बताया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार श्री अनिल सक्सेना ने समाज में पत्रकार एवं पत्रकारिता के योगदान का उल्लेख करते हुए डॉ. भवर सुराणा के पत्रकारिता संबंधी महत्वपूर्ण योगदान का स्मरण करते हुए कहा कि उनका जीवन हम सबके लिए प्रेरणा का एक ऊर्जा स्तंभ है। उन्होंने पत्रकारिता और साहित्य को एक दूसरे का पूरक बताया।
कवि सम्मेलन का आरंभ वड़ौदरा गुजरात से पधारी डॉ राखी सिंह कटियार द्वारा मधुर कंठ से प्रस्तुत सरस्वती वंदना से किया गया। इस अवसर पर प्रसिद्ध कवयित्री डॉ. शकुंतला सरूपरिया ने अपने पिता के उदार पूर्ण व्यक्तित्व एवं कृतित्व को अपनी ग़ज़ल में कुछ इस तरह बयां किया-
पराए दर्द को अपना बनाना जिसको आता था,
ज़मीं के साथ फ़लक भी देख उसको मुस्कुराता था,
आज जब वह नहीं है बीच अपने,सबके बहते अश्क,
वह खुशियांँ बांँट के दुनिया के आंँसू पोंछ जाता था।
उदयपुर की श्रीमती प्रमिला शरद व्यास ने राजस्थानी में एक स्वागत गीत गाकर सभी का स्वागत किया। भीलवाड़ा से आए दिनेश दीवाना ने अपने गीतों से सभी का मन मोह लिया। अहमदाबाद से श्रीमती रेणु शर्मा श्रद्धा ने अपने मधुर स्वर में अपनी प्रस्तुति कुछ यूँ दी-
कुछ इस तरह हैं ये ग़म की शाम आई है
मुझको अपना बना के मुझे पे मुस्कुराई है।
राब्ता के संस्थापक अध्यक्ष श्री शिवम झा कबीर ने अपनी प्रस्तुति इस प्रकार दी-
निकल पड़ा हूं मैं, कुछ अलग करने को हूं तैयार
मैं टूटा, बिखरा हूं, हज़ारों, लाखों बार
फिर भी अडिग खड़ा हूं, होकर तैयार
है राब्ता मेरा सबसे, और है यही मेरा परिवार।
प्रसिद्ध कवयित्री डॉ. कनक लता गौर -कानपुर ने अत्यंत सुंदर मनहरण घनाक्षरी के छंद प्रस्तुत किए।
छोड़ देउ ब्रह्म ब्रह्म, श्याम श्याम आज रटो
श्याम जैसो हित तुम, जग में न पाओगे।
अपने प्रेम गीतों के लिए प्रसिद्ध बहादुरगढ़ से पधारे श्री कुमार राघव ने अपनी प्रस्तुति से कार्यक्रम को प्रेममय बना दिया-
दिन को हम भी रात बनाना सीख गए,
किस्सों को जज़्बात बनाना सीख गए,
जब से तुमने देख लिया है जी भर कर
हम खुद से ही बात बनाना सीख गए।
प्रसिद्ध बाल साहित्यकार सलूंबर से पधारी डॉ. विमला भंडारी ने वर्तमान में पारिवारिक व सामाजिक विसंगतियों पर अत्यंत संवेदना पूर्ण मार्मिक रचनाएं प्रस्तुत कीं। उन्हीं के साथ
तेरी खुशियों में ही मेरी ख़ुशी है देख ली मैंने,
वगरना बेकली ही बेकली है देख ली मैंने।
मेरे माथे से दौरे बेख़ुदी में जो ढलक आती, तेरी आँखों में अब तक वो नमी है देख ली मैंने।"
डॉ. राखी सिंह कटियार की इस पेशकश पर लोग झूम उठे।
सुप्रसिद्ध गीतकार एवं शायर जोधपुर के दिनेश सिंदल जी ने जब काव्य पाठ आरंभ किया समूचा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंँज उठा।
तेरे आने की ख़बर सुनके सजाने वाला
मुझसे काजल भी है अब रूठ के जाने वाला।
होश आया तो मेरे संग तमाशा यह हुआ
होश खो बैठा मुझे होश में लाने वाला। उनकी शानदार ग़ज़लों और मुक्तकों को सबने ख़ूब सराहा।
रवीन्द्र स्पंदन की ओर से डॉ. योगेश सिंघल ने सामाजिक सरोकार की विविध रचनाओं से सभी को भावविभोर कर दिया। डॉ. राजुल लोढ़ा, डॉ.प्रियंका शर्मा, डॉ. भागचंद आदि ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। रवीद्र स्पंदन के संस्थापक सचिव डॉ .गोपाल राजगोपाल ने कोरोना के दौर को याद करते हुए श्रेष्ठतम दोहे कहे और गजलें भी पेश कीं। श्रीमती हंसा रवीन्द्र ने अपने सुंदर कविताओं से सभी को प्रभावित किया। कार्यक्रम के अंत में स्व. डॉ. भंवन सुराणा के सुपुत्र भगत सिंह सुराणा ने सभी का हृदय से धन्यवाद ज्ञापित किया। कवि सम्मेलन में शहर के गणमान्य नागरिकों के साथ डा. भंवर सुराणा की चारों पुत्रियां एवं धर्मपत्नी श्रीमती रतन देवी सुराणा भी उपस्थित थीं। पुत्री के रूप में पिता को समर्पित कवि सम्मेलन का सरस एवं प्रभावपूर्ण संचालन देश की प्रसिद्ध कवयित्री डॉ शकुंतला सरूपरिया ने अपने विशिष्ट अंदाज़ में किया।.