*झूट के पांव ही नहीं होते-दूर तक चल नहीं सकेगा झूट* अदब की महफ़िल में लफ़्ज़ों से मुअत्तर हुई फ़ज़ा। शाइरों ने दिखाया झूट को आईना।
बीकानेर। पर्यटन लेखक संघ-महफिले अदब के साप्ताहिक अदबी कार्यक्रम की 552 वीं कड़ी में रविवार को तरही मुशायरा-4 आयोजित किया गया, जिसका मिसरा ए तरह था-*जब भी बोला है वो,तो बोला झूट*
शिक्षाविद मोहनलाल जांगिड़ की सदारत में आयोजित मुशायरे के मुख्य अतिथि के तौर पर वरिष्ठ शाइर ज़ाकिर अदीब ने ग़ज़ल पेश कर वाह वाही लूटी-
*झूट के पांव ही नहीं होते
दूर तक चल नहीं सकेगा झूट*
आयोजक डॉ जिया उल हसन क़ादरी ने सच और झूठ का किस्सा यूँ बयान किया-
*आपका झूट भी है सच्चा झूट
है हमारा तो सच भी कोरा झूट*
राजस्थान उर्दू अकादमी सदस्य असद अली असद ने शेर सुना कर झूटों को आइना दिखाया-
*सच से शर्मिंदा क्यूँ न होता झूट
सच हमारा है और तुम्हारा झूट*
इम्दादुल्लाह बासित ने एक दिन मैंने बोला प्यारा झूट, अब्दुल जब्बार जज़्बी ने उसने लफ्जों से यूँ सँवारा झूट, साग़र सिद्दीक़ी ने जीत सच की हुई है हारा झूट,इरशाद अज़ीज़ ने आज की बात हो तो बात करें, रहमान बादशाह तन्हा ने झूट बोलो तो बोलो ऐसा झूट ,शारदा भारद्वाज ने सच को छुपाया सबसे,वो बोला झूट,हनुवन्त गौड़ ने नब्ज़ टटोली उसकी तो निकला झूट और कैलाश टाक ने लिए घूमता है वो फकीरी का चोला झूट सुना कर दाद लूटी। डॉ जगदीशदान बारहठ ने धन्यवाद ज्ञापित किया।संचालन डॉ ज़िया उल हसन क़ादरी ने किया।