जांभाणी साहित्य सदन का शिलान्यास समारोह सम्पन्न। हज़ारों लोगों ने की शिरकत।




बीकानेर,26 सितम्बर। साहित्य समाज का दर्पण ही नहीं बल्कि एक दीपक समान होता है और साहित्य सदन के माध्यम से साहित्य के रखरखाव व प्रकाशन को बल मिलता है। जांभाणी साहित्य सदन के स्थापित होने से हम गुरु जंभेश्वर भगवान की शिक्षाएं देश और दुनिया में फैलाने में पूर्णतः सक्षम होंगे। यह बात आसोज मेले के पावन अवसर पर बिश्नोई समाज के प्रमुख धाम मुक्तिधाम मुकाम में जांभाणी साहित्य अकादमी के तत्वावधान में जांभाणी साहित्य सदन के शिलान्यास समारोह में पूर्व विधायक और अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के संरक्षक कुलदीप बिश्नोई ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए कही। अकादमी के राष्ट्रीय प्रेस प्रभारी पृथ्वी सिंह बैनीवाल ने बताया कि हरियाणा के हिसार सहित विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में धर्मप्रेमी सज्जन शिलान्यास समारोह में पहुंचे थे। साथ ही समाज के पूज्य संतगण पीठाधीश्वर स्वामी रामानन्द आचार्य, महंत रामकृष्ण, महंत छगनप्रकाश, श्रीमहंत शिवदास शास्त्री, महंत डॉ. संत गोवर्धनदास आचार्य, महंत मनोहरदास शास्त्री, महंत सच्चिदानन्द आचार्य, स्वामी सदानन्द आदि के सान्निध्य में समारोह संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे नोखा विधायक बिहारीलाल बिश्नोई ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि मुक्तिधाम मुकाम में पुस्तकालय व साहित्य का शोध केंद्र बनने से न केवल मुकाम और आसपास के क्षेत्र के विद्यार्थियों और शोधार्थियों को लाभ होगा बल्कि बाहर से आने वाले विद्यार्थियों के साथ शोधार्थियों को भी सुविधा उपलब्ध होगी। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और बिश्नोई महासभा के अध्यक्ष देवेंद्र बुड़िया ने कहा कि मुक्तिधाम मुकाम बिश्नोई समाज का सर्व प्रमुख धाम है। यहां पर कार्यालय होने से पूरे समाज व बाहर से आने वाले सभी श्रद्धालुओं को जाम्भाणी साहित्य सहजता से उपलब्ध हो सकेगा। अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा के संरक्षक डॉ गोवर्धनराम आचार्य ने इस अवसर पर कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है। इससे हमारी परंपरा व संस्कारों का बोध होता है। विशिष्ट अतिथि पप्पू राम डारा ने इस कार्य को अति महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इससे गुरु जंभेश्वर भगवान की शिक्षाओं को प्रचारित प्रसारित करने में बल मिलेगा। इससे पहले समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलन व जांभाणी साखी गायन के साथ हुआ। अकादमी के अध्यक्ष स्वामी कृष्णानंद आचार्य ने सभी का स्वागत करते हुए जांभाणी साहित्य की गौरवशाली परंपरा पर प्रकाश डाला व इस भवन निर्माण में सभी से सहयोग का अनुरोध किया, वहीं कोषाध्यक्ष आर के बिश्नोई ने भवन की रूपरेखा बताई और समाज के भामाशाहों से निवेदन किया कि सभी के सहयोग से ही अकादमी मुकाम में इस भव्य और दिव्य साहित्य सदन के निर्माण में सक्षम होगी। कार्यक्रम संचालन अकादमी उपाध्यक्षा डॉ इंद्रा बिश्नोई ने व धन्यवाद ज्ञापन अकादमी संरक्षिका डॉ सरस्वती बिश्नोई द्वारा किया गया।

2022-09-26 11:34:43