पर्यटन लेखक संघ-महफिले अदब की साप्ताहिक काव्य गोष्ठी की 550 वीं कड़ी। उर्दू और हिंदी के रचनाकारों ने बिखेरी अल्फ़ाज़ की ख़ुशबू।




बीकानेर। पर्यटन लेखक संघ-महफिले अदब की साप्ताहिक काव्य गोष्ठी की 550 वीं कड़ी में रविवार को हिंदी व उर्दू के रचनाकारों ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कर वाह वाही लूटी। अध्यक्षता करते हुए प्रो नरसिंह बिनानी ने खुशबू का संदेश दिया-खुशबू बिखेरता रहा हूँ मैं तो अनवरत खिलता हुआ गुलाब हूं, खोलो परत परत।संयोजक डॉ ज़िया उल हसन क़ादरी ने हौसले की बात कही-हौसला है आप में तो आईये तूफान में,
देखते हो क्या नज़ारा यूँ फ़क़त बाहर से आप। शाइर असद अली असद ने ने रहबर से सवाल पूछने की बात कही-कोई वादा क्यों न पहुंचा पाया ए तकमील तक, हो सके तो पूछना इतना किसी रहबर से आप। डॉ जगदीश दान बारहठ ने खेत सारे बिक रहे हैं,फस्ल कहाँ से होगी। इम्दादुल्लाह बासित ने दीद से उसकी तबियत पे निखार आ जाये, कवयित्री नीतू जोशी ने उजाला नज़र आने लगा व जुगल किशोर पुरोहित ने है जग में सबसे बड़ी गौ की महिमा सुना कर दाद हासिल की। संचालन डॉ ज़िया उल हसन क़ादरी ने किया।

2022-10-16 10:50:47