प्रसार भारती के अनियमित कर्मी लड़ेंगे आर-पार की लड़ाई: दिलीप बनर्जी।




नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने 10 अप्रैल 2006 को कर्नाटक सरकार बनाय उमा देवी के मामले में ऐतिहासिक फैसला देते हुए 10 वर्ष तक लगातार कार्य करने वाले अनियमित कर्मियों को नियमित करने का आदेश जारी किया था। भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग ने इस संबंध में 2006 में ही सभी सरकारी विभागों को इसके अनुपालन करने का आदेश जारी किया था। इसके बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। प्रसार भारती रेगुलराइजेशन एस्पीरेंट्स ग्रुप के संयोजक दिलीप बैनर्जी ने बताया कि संवैधानिक पीठ के आदेश के अनुपालन में प्रसार भारती 5 सितंबर 2019 के परिपत्र के साथ लाई गई नियमितीकरण योजना लाई थी। मगर यह सिर्फ दिखावा साबित हुई। 3 वर्षों में इस कार्य को निष्पादित नहीं किया गया जबकि नियमितीकरण चार महीने के भीतर पूर्ण कर दिया जाना था प्रसार भारती ने 27 जुलाई 2020 को दोबारा दावेदारों से आवेदन ऑनलाइन मंगाने की सूचना जारी की। 16 नवंबर 2020 को एक पोर्टल जारी करते हुए ऑनलाइन आवेदन मंगाए गए। इसके बाद पारदर्शिता बरतने का निर्णय लेते हुए उस पोर्टल पर प्रसार भारती ने कब कब और क्याक्या किया इसकी सूचना कभी किसी को नहीं दी। 30-30 वर्षों तक काम करके लोग संस्थान से बाहर भी हो गए लेकिन प्रसार भारती ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं किया। इसके चलते आवेदक खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब चरणबद्ध आंदोलन करने की रूपरेखा तैयार कर चुके हैं। इसके तहत प्रसार भारती सीईओ को एक ज्ञापन भेज कर उमा देवी जजमेंट का क्रियान्वयन 10 दिनों के भीतर सुनिश्चित करने की मांग की जाएगी। ज्ञापन का जवाब नहीं आने की स्थिति में इस विषय से जुड़े सभी पत्रकों को हमने जो प्रसार भारती को दिया है उसकी एवज में प्रसार भारती ने क्या किया है? वह सभी पत्रों को नई दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस करके मीडिया को तथ्यों के साथ उपलब्ध कराया जाएगी। तत्पश्चात प्रसार भारती के समक्ष शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के साथ साथ अनिश्चितकालीन क्रमिक भूख हड़ताल शुरू की जाएगी। यह तीनों कार्यक्रम प्रसार भारती रेगुलराइजेशन एस्पीरेंट्स ग्रुप के बैनर तले आयोजित किए जाएँगे।

2022-10-13 23:38:51