सामाजिक समरसता और सद्भावना के कवि थे गिरजा शंकर पाठक- डॉउमाकांत गुप्ता




बीकानेर। गिरजा शंकर पाठक कला संस्कृति एवं साहित्य शोध संस्थान तथा अखिल भारतीय साहित्य परिषद बीकानेर के संयुक्त तत्वावधान में सुदर्शना कला दीर्घा में बाल्मीकि जयंती, शरद पूर्णिमा उत्सव, के साथ साथ बीकानेर के सुपरिचित कवि गिरजा शंकर पाठक की 83 वीं जयंती पर कार्यक्रम संपन्न हुआ. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ.उमाकांत गुप्त तथा अध्यक्ष साहित्य परिषद के वरिष्ठ कवि रमेश कुमार शर्मा रहे. विशिष्ट अतिथि प्रमिला गगल थी। संस्थानके सचिव तथा साहित्य परिषद के प्रांत अध्यक्ष डॉ.अखिलानंद पाठक ने बताया कि पाठकजी के हाइकु शीघ्र प्रकाशित किए जाएंगे। दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण के बाद गिरजा शंकर पाठक के साहित्य पर विचार व्यक्त करते हुए डॉ. उमाकांत गुप्ता ने कहा कि वे सहज कवि थे और उनका काव्य सद्भावना और समरसता के लिए समर्पित था. गुप्त ने बाल्मीकि के कार्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने समाज को समरस करने के लिए लिखा. इस अवसरपर प्रमिला गंगाल ने बाल्मीकि जयंती तथा गिरजा शंकर पाठक के काव्य के संस्मरण सुनाए. कार्यक्रम अध्यक्ष अखिल भारतीय साहित्य परिषद के संरक्षक रमेश कुमार शर्मा ने कहा कि जो साहित्य सामाजिक समरसता सद्भावना के लिए लिखा जाता है वही प्रेरणादायक होता है। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए राजाराम स्वर्णकार ने शरद पूर्णिमा पर अपनी राजस्थानी रचना नीं आंको, नीं बांको है, नीं खांडोबैडोळ,शरद पूनम री रात चंद्रमा रेवै गोळ मटोळ सुनाकर तालियाँ बटोरी। वरिष्ठ कवयित्री प्रमिला गंगल, रमेश महर्षि, कमल रंगा, के.के.शर्मा, मूलचंद बोहरा, इप्सिता पाठक ने भी काव्यपाठ किया।कार्यक्रम का संचालन बीकानेर इकाई अध्यक्ष विनोद कुमार ओझा ने किया. इस अवसर पर सुमन चौधरी, जुगल किशोर पुरोहित, डॉ राजेंद्र खीचड़, सुमन भाटी, शिव कुमार आर्य, विवेकानंद आर्य, किशन संगदानी, अभिषेक पाठक,अनामिका, गोपाल तिवारी, विश्वकर्मा पांडे, दिनेश कुमार पांडे एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे. कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद विनोद कुमार ओझा एवं डॉ.अखिलानंद पाठक ने दिया।

2022-10-10 08:52:57