किसी भी धर्म में निषेध नहीं है देहदान या अंगदान-डॉ. राकेश रावत
किसी भी धर्म में निषेध नहीं है देहदान या अंगदान-डॉ. राकेश रावत
अंगों की कमी के कारण क़रीब पॉंच लाख व्यक्ति प्रतिवर्ष होते हैं काल ग्रसित।
दो लाख व्यक्ति लिवर की खराबी के कारण हो जाते हैं मृत्यु को प्राप्त।
पचास हज़ार व्यक्ति दिल की बीमारियों के कारण होते हैं खत्म।
डेढ़ लाख व्यक्ति किडनी के इंतजार में कर लेते हैं अपना जीवन समाप्त।
दस लाख व्यक्ति कॉर्निया नहीं मिल पाने के कारण जीते हैं अंधेपन की ज़िन्दगी।
बीकानेर। नोखा तहसील के ग्राम नाथूसर के पूर्व सरपंच घेवर चंद सियाग तथा मोतीराम रोड ने सर्व मानव कल्याण समिति के सानिध्य में अपने देहदान तथा अंगदान का निर्णय लेकर शपथ पत्र आज भरा। सर्व मानव कल्याण समिति के अध्यक्ष डॉ. राकेश रावत ने बताया कि घेवर चंद सियाग तथा मोतीराम रोड साथ आए युवाओं ने भी इस कार्यक्रम को जानकर इसमें अपनी रुचि दिखाई तथा शीघ्र ही अपनी देह तथा अंगदान करने का मानस बनाया। उन्होंने कहा कि यह अपने आप में बहुत अच्छा संकेत है लोगों में जागृति होने का।
डॉ. राकेश रावत का कहना है कि किसी भी धर्म में अंगदान करना या अंग प्रत्यारोपण खुद के लिए भी करवाना कहीं से भी निषेध नहीं है। महर्षि दधीचि ने तो स्वयं भगवान इंद्र के धनुष के लिए अपने देह का दान किया था। यहां देहदान से भावी चिकित्सकों की शिक्षा को बहुत योगदान मिलेगा। उन्होंने बताया कि सिर्फ हमारे देश में ही अंगों की कमी के कारण क़रीब 500000 व्यक्ति प्रतिवर्ष काल ग्रसित हो जाते हैं। 200000 व्यक्ति लिवर की खराबी के कारण मृत्यु को प्राप्त होते हैं। लगभग 50000 व्यक्ति दिल की बीमारियों के कारण खत्म हो जाते हैं, जो यदि अंग मिल जाते तो बच सकते थे। डेढ़ लाख व्यक्ति किडनी या गुर्दे की इंतजार में अपना जीवन समाप्त कर लेते हैं उनमें से मुश्किल से 5000 को ही मिल पाती है। लगभग 1000000 व्यक्ति कॉर्निया नहीं मिल पाने के कारण अंधेपन का जीवन व्यतीत करते हैं।