बारगाह-ए-रिसालत में पेश किया अक़ीदत का नज़राना।
बीकानेर। हज़रत मुहम्मद साहेब के जन्म दिवस ईद-ए-मिलादुन्नबी की पूर्व संध्या पर उम्मत-ए-मुस्लिम की तरफ से नातख़्वानी का कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमे बीकानेर के ओलमा और गणमान्य लोगों ने शिरकत कर बारगाह-ए-रिसालत में अपनी अक़ीदत का नज़राना पेश किया। सबसे पहले क़ुरआन-ए-पाक की तिलवाता कर रज़ा-ए-इलाही हासिल की गयी और उसके बाद हज़रत मुहम्मद साहेब की शान-ए-मुबारक में नात शरीफ़ पेश की गयीं। इस मुबारक मौक़े पर जमीअत-उल-उलमा-ए-हिन्द के महासचिव मौलाना मुहम्मद इरशाद क़ासमी मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। उन्होंने कहा की हज़रत मुहमम्मद साहेब सिर्फ़ मुसलमानो के लिए ही नहीं बल्कि पूरी कायनात के लिए ईश्वर की कृपा बन कर तशरीफ़ लाये। उन्होंने कहा की उनसे सच्ची मुहम्मद का इज़हार उस वक़्त होगा जब हम उनके आदेशों पर अमल करेंगे। अति विशिष्ट अतिथि के रूप में तशरीफ़ लाये गुरुद्वारा रानी बाज़ार प्रबन्धक कमेटी के सचिव सरदार गुरविन्दर सिंह भाटिया ने कहा की हम चाहे किसी भी धर्म को मानते हों, मगर रब सभी का एक है। चाहे अल्लाह कहो, वाहेगुरु कहो, ईश्वर कहो सभी में वो परम ईश्वरीय शक्ति ही है। जब रब एक है तो इन्सान-इन्सान के बीच भेदभाव क्यों? उन्होंने कहा की हमें धर्मों के भेद ख़त्म कर एक रब को मानने वाला बनना चाहिए। विशिष्ट अतिथि हाजी मक़सूद अहमद ने हर तरह की बुराइयों से दूर रहकर हुज़ूर की सीरत-ए-पाक को अपना कर कामयाबी हासिल करने की बात कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मौलाना अब्दुल वाहिद अशरफ़ी ने मुहम्मद साहेब की सुन्नतों पर चल कर पूरी इंसानियत के लिए मिसाल बनने की अपील की। उन्होंने कहा की मुसलमान वो है जो हर एक जीव के लिए दिल में रहम रखता हो। मेहमान-ए-ख़ास के तौर पर उपस्थित जाने-माने समाज सेवी और उद्योगपति अयूब अली सोढ़ा कहा की हमें इस मुबारक मौक़े पर ये एहद करना चाहिए की हम अपनी ज़िन्दगी से हर बुराई को ख़त्म करेंगे और दीं के ऐतबार से ज़िन्दगी गुज़ारेंगे। वरिष्ठ पत्रकार डॉ. सैयद नासिर अली ज़ैदी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा की अल्लाह ने ये तमाम कायनात अपने मेहबूब हज़रत मुहम्मद साहेब के सदक़े में बनाई। अगर रसूल-ए-अकरम नहीं होते तो कुछ भी ना होता।
कार्यक्रम में महिलाऐं भी बड़ी तादाद में मौजूद थीं और उन्होंने ने भी अपने आक़ा हज़रत मुहम्मद साहेब के प्रति अपनी अक़ीदतमन्दी का इज़हार किया। इस महफिल-ए-मिलाद में हाफ़िज़ हसन अली, हाफ़िज़ नईमउद्दीन जामी, हाफ़िज़ मोइनउद्दीन जामी, अलीमउद्दीन जामी, पूनम पँवार, मुहम्मद इस्माइल, अब्दुस्सलाम, मुहम्मद रमज़ान सुलेमानी, नसीम अहमद मेव, सूफ़िया साहिबा रज़्ज़ाकी, अस्मां बानों, सलमा बानों, रशीदा बेगम, राजेश्वरी पटवा सहित अनेक लोगों ने हुज़ूर की शान में नातिया कलाम पेश किये।
2022-10-08 10:44:22