जब जब मेरा तीसरा नेत्र खुला मैंने उस ऊर्जा को लेखन में उतार दिया-आनंद कौर व्यास
बीकानेर। शब्दश्री साहित्य संस्थान की मासिक मुलाकात श्रंखला में इस बार वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती आनंद कौर व्यास से सम्वाद हुआ। संस्था की मोनिका गौड़ ने बताया कि इस सम्वाद में आनंद कौर जी ने बहुत सहज भाव से अपने जीवन के अनछुए पहलुओं के साथ साथ लेखन प्रक्रिया पर भी बात की। उन्होंने बताया कि स्त्री का भी शिव की तरह तीसरा नेत्र होता है जब-जब भी जीवन मे उनका तीसरा नेत्र खुला उन्होंने उस ऊर्जा को सकारात्मक तरीके से अपने लेखन में उतार दिया. एक लेखक के लिए ऑब्सर्वेन्ट होना बेहद जरूरी है। पति पत्नी यदि दोनों लेखक हो तो किस प्रकार से सामंजस्य बैठता है इस प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि वे सदैव एक दूसरे के सम्बल रहे.
आनंद कौर से बातचीत करते हुए विख्यात लेखिका व शब्दश्री की सचिव मनीषा आर्य सोनी ने सधे हुए प्रश्नों के द्वारा सम्पूर्ण सम्वाद को जींवत बनाये रखा।
इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत वरिष्ठ लेखक कमल रँगा ने किया तथा कार्यक्रम के साक्षी भवानी शंकर व्यास विनोद, डॉ सुमन बिस्सा, पृथ्वीराज रतनू,मनमोहन कल्याणी, नवनीत पांडे, राजाराम स्वर्णकार, संगीता सेठी, बाबूलाल छंगाणी, इरशाद अज़ीज़, डॉ अजय जोशी, सुरेश कुमार सोनी, टीनू गिल, नवल जी, राजीव गौतम, केके शर्मा, गंगाविशन, प्रेमजी, राजश्री भाटी व नगर के गुणीजन उपस्थित थे। पूर्व में श्रीमती आनंद कौर का सम्मान संस्था व उपस्थित विद्वजनों द्वारा किया गया। अतिथियों का धन्यवाद उपाध्यक्ष डॉ कृष्णा आचार्य ने किया।