डाॅ.आशा भार्गव की कविताएं अनुभव से उपजी रचनाएं हैं : राजेन्द्र जोशी
डॉ. आशा भार्गव के हिन्दी कविता संग्रह आशा की भावना का हुआ लोकार्पण।
डाॅ.आशा भार्गव की कविताएं अनुभव से उपजी रचनाएं हैं : राजेन्द्र जोशी
बीकानेर। प्रियंका गांधी नारी सेवा समिति के तत्वावधान में डॉ.आशा भार्गव के सद्द प्रकाशित हिन्दी काव्य संग्रह आशा की भावना का लोकार्पण नागरी भंडार स्थित महारानी सुर्दशना कला दीर्घा में हुआ। लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी थे। समारोह की अध्यक्षता व्यंग्यकार-संपादक डॉ.अजय जोशी ने की तथा समारोह के विशिष्ट अतिथि साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार रहे।
लोकार्पण अवसर पर मुख्य अतिथि राजेन्द्र जोशी ने कहा की डाॅ.आशा भार्गव की कविताएं अनुभव से उपजी रचनाएं हैं, उन्होंने कहा कि डॉ भार्गव ने लगभग सभी विषयों पर अपनी कलम चलाई है। उनकी पुस्तक आशा की भावना में सम्मिलित की गई रचनाएं विरोधाभासी प्रतीत होती है, वह कहीं किसी विषय के पक्ष में खड़ी दिखाई देती है तो अगली रचना में उसी विषय के विरुद्ध अपनी बात कह रही है। जोशी ने कहा कि आशा की भावना कविता संग्रह सरल भाषा में लिखी गई रचनाएं हैं। उन्होंने कहा कि डाॅ. भार्गव एक सक्रिय कार्यकर्ता होने के कारण उन्हें विभिन्न विषयों की जानकारी है, अत: रचनाकार विविध पक्षों को उजागर करती है। जोशी ने कहा की आशा की भावना कविता संग्रह सामाजिक एवं राजनैतिक कार्यकर्ताओं के लिए जरूरी पुस्तक प्रतीत होती है।
समारोह में अध्यक्षीय उद्बोधन करते हुए व्यंग्यकार डॉ. अजय जोशी ने कहा कि डॉ. आशा भार्गव ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है। इस पुस्तक में जीवन संघर्ष को अपनी कविताओं के माध्यम से साझा किया है ।उन्होंने कहा कि कवयित्री अपने समय की जानी -पहचानी सख्शियत है इन्होनें लगभग सभी क्षेत्रों में सराहनीय कार्य किया है।
विशिष्ट अतिथि राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि डॉ. आशा भार्गव ने हिंदी उपन्यासों में बाल-मनोविज्ञान विषय पर डॉ. देवीप्रसाद गुप्त के सानिंध्य में शोधकार्य पूरा किया। आप बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि की थी। आपका जन्म लखनऊ में हुआ। विवाह पश्चात बीकानेर आई और दस वर्ष बाद हिंदी में एम.ए. प्रथम स्थान में किया। कवयित्री के व्यक्तित्व-कृतित्व पर डॉ. कृष्णा आचार्य ने पत्रवाचन किया । प्रारंभ में स्वागत भाषण संस्थान की सचिव डाॅ.करुणा भार्गव ने दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत में सरस्वती प्रतिमा पर पुष्पांजलि की गई। सरस्वती वंदना ज्योति वधवा रंजना ने की । कार्यक्रम में डॉ.शंकरलाल स्वामी, चंद्रशेखर जोशी, मुकेश पोपली, जुगल पुरोहित, डॉ.बसन्ती हर्ष, लोकेश झा, राहुल रँगा, इंद्रा व्यास, बी.एल.नवीन, प्रेमनारायण व्यास, ऋषिकुमार अग्रवाल, अभिषेक भार्गव, यामिनी जोशी, नीतू जोशी, कमलकिशोर पारीक, मुकेश पोपली, संजय हर्ष, इसरार हसन कादरी, डाॅ.फारुख चौहान सहित अनेक लोग उपस्थित हुए।
कार्यक्रम का संचालन हास्य व्यंग्य कवि बाबूलाल छंगाणी ने किया।