पद्मश्री डॉ.मदन ने एनआरसीसी की अनुसंधान प्रगति को सराहा।
बीकानेर। पद्मश्री डॉ.एम.एल.मदन, पूर्व उप महानिदेशक, भाकृअनुप, पूर्व कुलपति एमएएफएसयू, नागपुर एवं दुवासु, मथुरा द्वारा आज भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी) की अनुसंधान गतिविधियों का अवलोकन किया गया। इस अवसर पर आयोजित वैज्ञानिक वार्ता में उन्होंने एनआरसीसी वैज्ञानिकों के साथ अपने अनुसंधान कार्यों से जुड़े अनुभव साझा किए।
वैज्ञानिक वार्ता में डॉ.मदन ने वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि अनुसंधान कार्य एक सतत प्रक्रिया है तथा इस दौरान असफल प्रयासों, आधारभूत संसाधनों की कमी आदि विभिन्न चुनौतियां आपको हतोत्साहित करेंगी परंतु इन्हें स्वीकारते हुए दृढ़ संकल्पित, जुनून एवं लक्ष्यबद्ध रूप में आपकी कार्यशैली आपकी विशिष्ट पहचान का द्योतक सिद्ध हो सकेगी। उन्होंने वैश्विक स्तर पर देश की ओर से श्रेष्ठ अनुसंधान का उदाहरण प्रस्तुत करने, जीवन में अनुशासन के महत्व, कार्यों में पारदर्शिता, समन्वयात्मक व व्यावहारिक तरीके से कार्य करने, लक्ष्य निर्धारित करने आदि विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर उन्होंने केन्द्र की ओर से ऊँटनी के दूध से विकसित विभिन्न नूतन उत्पादों यथा-चॉकलेट एवं प्रायोगिक दुग्ध उत्पादों का रसास्वादन करते हुए प्रशंसा कीं। उन्होंने उष्ट्र संग्रहालय का भ्रमण एवं पौधारोपण भी किया।
डॉ.एस.के.घौरूई, प्रधान वैज्ञानिक ने स्वागत उद्बोधन में एनआरसीसी द्वारा किए जा रहे अनुसंधान कार्यों की प्रगति को सदन के समक्ष रखा तथा कहा कि उष्ट्र प्रजाति को नूतन आयामों में परिभाषित करने के लिए केन्द्र ऊँटनी के दूध एवं उष्ट्र पर्यावरणीय पर्यटन की दिशा में आगे बढ़ रहा है ताकि ऊँट पालकों का इस ओर रुझान बढ़ाते हुए उनकी आमदनी में वृद्धि लाई जा सकें।
केन्द्र निदेशक डॉ. आर्तबन्धु साहू ने डॉ.एम.एल.मदन द्वारा केन्द्र भ्रमण के दौरान दूरभाष पर वैज्ञानिक गतिविधि संबंधी जानकारी देते हुए कहा कि पद्मश्री डॉ.मदन द्वारा संप्रेषित अनुभूत अनुसंधानिक विचार, एनआरसीसी वैज्ञानिकों को उनके कार्यक्षेत्र में और अधिक श्रेष्ठ कार्य निष्पादन हेतु प्रेरित करेंगे। वैज्ञानिक वार्ता का संचालन केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ.सुमंत व्यास द्वारा किया गया।