पाठक को काल की चुनौतियों से रूबरू करवाते हैं डॉ. प्रजापत के निबंध-डॉ. कल्ला



 

पाठक को काल की चुनौतियों से रूबरू करवाते हैं डॉ. प्रजापत के निबंध-डॉ. कल्ला 
शिक्षा मंत्री डॉ. कल्ला ने किया निबंध सबरंग का विमोचन। 

 

बीकानेर। डॉ. प्रजापत के निबंध सामयिक और प्रासंगिक हैं। यह पाठक को काल की चुनौतियों से रूबरू करवाते हैं। लेखक ने राजस्थानी साहित्य के सहारे बेहतर चिंतन किया है तथा अनेक सवाल खड़े किए हैं। शिक्षा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने एन.एस.पी.पीजी कॉलेज में डॉ. गौरी शंकर प्रजापत के हिंदी निबंध संग्रह ‘निबंध सबरंग’ के लोकार्पण के दौरान यह बात उद्गार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि डॉ. प्रजापत ने निबंध संग्रह में नारी के संघर्ष को उकेरा है। उन्होंने चंद्रधर गुलेरी, डॉ. रांगेय राघव, डॉ. देवी प्रसाद गुप्त और डॉ. नंद किशोर आचार्य जैसे लेखकों के साहित्यिक अवदान को रेखांकित किया और कहा कि नई पीढ़ी को ऐसे विषयों को उठाना होगा, जो समाज के समक्ष चुनौती बने खड़े हैं। शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा विभिन्न अकादमियों के माध्यम से साहित्यिक गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इन अकादमियों द्वारा विभिन्न कलाओं के संवर्धन की दिशा में भी कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि डॉ. प्रजापत ने नौ निबंधों में अनेक विषयों को छुआ है। इनमें नए प्रयोग भी किए हैं।


श्री ब्रह्म गायत्री सेवा आश्रम के अधिष्ठाता पं. रामेश्वरानंद महाराज ने कहा कि लेखन अपनी संवेदनाओं को लेखनी के माध्यम से पाठक के समक्ष प्रस्तुत करता है। डॉ. प्रजापत ने भी इन निबंधों के माध्यम से सामाजिक विद्रूपताओं के विरूद्ध मजबूत आवाज उठाई है। उन्होंने कहा कि इनमें नारी की मनोदशा, प्रकृति चित्रण, राजस्थानी साहित्य में जीवन-मूल्य जैसे विषयों को छुआ है। आज के दौर में इन पर लेखनी चलाना जरूरी है। डॉ. गौरी शंकर प्रजापत ने बताया कि यह पुस्तक राजस्थान साहित्य अकादमी की पांडुलिपि प्रकाशन योजना के तहत प्रकाशित हुई है। उन्होंने निबंधों की विषय वस्तु के बारे में बताया तथा कहा कि राजस्थान की संस्कृति के निर्माण और इसे बढ़ावा देने में साहित्यकारों का विशेष योगदान रहा है।


डॉ. प्रशांत बिस्सा ने कहा कि गद्य लेखन अपने आपमें चुनौतीपूर्ण है। निबंध लिखना कठिन विधा है। डॉ. प्रजापत ने प्रत्येक निबंध के साथ न्याय किया है। सहायक निदेशक (जनसंपर्क) हरि शंकर आचार्य ने आंगतुकों का आभार जताया और कहा कि यह पुस्तक शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण है। इस दौरान जुगल राठी, एड. अजय पुरोहित, एड. किशन लाल सांखला, डॉ. हरिराम बिश्नोई, डॉ. बी.एम. खत्री, विनोद सारस्वत, नीतू बिस्सा, हेमा पारीक, सुलोचना ओझा, राजेश चौधरी, प्रशांत जैन, मुकेश पुरोहित, अरविंद स्वामी, अमित पारीक, कमल आचार्य, राजेश विश्नोई, राजूनाथ सहित अनेक लोग मौजूद रहे।


2023-03-20 16:24:53