राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए-डॉ.अजय जोशी
राजस्थानी रचनाकार लक्ष्मण दान कविया का अभिनंदन समारोह।
राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए-डॉ.अजय जोशी
बीकानेर। मुक्ति संस्था, बीकानेर के तत्वावधान में राजस्थानी भाषा के विद्वान साहित्यकार एवं राजस्थानी भाषा मान्यता आंदोलन के प्रमुख साथी नागौर निवासी लक्ष्मण दान कविया का बीकानेर में नागरिक अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नगर निगम बीकानेर के उपमहापौर राजेंद्र पवार थे तथा अध्यक्षता व्यंगकार-सम्पादक डॉ. अजय जोशी ने की एवं विशिष्ट अतिथि राहुल रंगा राजस्थानी थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए व्यंगकार-सम्पादक डॉ. जोशी ने कहा कि राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने की मांग बरसों पुरानी है उसी मांग को आगे बढ़ाते हुए नागौर जिले में निरंतर राजस्थानी भाषा को प्रचार-प्रसार देने एवं मौन साधक के रूप में कार्य करने वाले लक्ष्मणदान कविया का योगदान अमूल्य है। जोशी ने कहा की सरकार को सोचना चाहिए कि कविया जैसे हजारों राजस्थानी रचनाकारों ने अपना सारा समय राजस्थानी मान्यता आंदोलन में लगा दिया है। उन्होंने कविया के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि राजस्थान में युवाओं को आगे बढ़ाने में लक्ष्मणदान कविया का महत्वपूर्ण योगदान है।
सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि राजेंद्र पवार ने कहा कि यह मांग किसी एक व्यक्ति की नहीं है और ना ही किसी एक राजनीतिक दल की है बल्कि 12 करोड़ राजस्थानियों की मांग है जिसको लक्ष्मण दान कविया जैसे लोग आगे बढ़ा रहे हैं। विशिष्ट अतिथि राहुल रंगा राजस्थानी ने कहा हम जैसे युवाओं को लक्ष्मण दान कविया का मार्गदर्शन मिलता रहे, यही हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं और आपके मार्गदर्शन में राजस्थानी आंदोलन को आगे बढ़ाने में सक्रिय योगदान करते रहेंगे। वरिष्ठ साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने लक्ष्मणदान कविया के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।
अभिनंदन समारोह में बोलते हुए कवि- कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि हमें छोटे-छोटे समूह के साथ सामूहिक रूप से भी बड़े स्तर पर आंदोलन करने की जरूरत है, ऐसे आंदोलनों में लक्ष्मण दान कविया जैसे लोग मार्गदर्शन करें तो राजस्थानी भाषा मान्यता का कार्य आगे बढ़ सकेगा। इस अवसर पर बोलते हुए लक्ष्मण दान कविया ने कहा कि भारत सरकार को राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु आगामी संसद सत्र में बिल पेश करना चाहिए, उन्होंने कहा कि हजारों वर्ष पुरानी भाषा कि अनदेखी करना यह पूरी संस्कृति का अपमान है कविया ने अपने सम्मान के प्रति आभार प्रकट किया।कार्यक्रम में नरेश गोयल, पूर्ण चंद्र राखेचा, पवन पहाड़िया, शिव शंकर व्यास सहित अनेक लोगों ने शिरकत की। कार्यक्रम का संचालन हास्य कवि बाबूलाल छंगानी ने किया एवं आभार साहित्यकार चन्द्रशेखर जोशी ने व्यक्त किया।