राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव-माता करणी के आंगन में खूब बही भक्ति रस की धारा।
बीकानेर। यहां चल रहे 14 वह राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव के तहत शनिवार को देशनोक स्थित करणी माता मंदिर के आंगन में संगीतमय भक्ति रस की धारा इतनी खूबसूरत राघव और धुनों पर बही कि श्रोता सराबोर हो गए। इतना ही नहीं, स्थानीय श्रोताओं के साथ-साथ विदेशी मेहमान भी यह भजन कार्यक्रम सुनने के लोभ का संवरण नहीं कर पाए। देशनोक में जहां बीकानेर के सितार वादक राजेंद्र जोशी के सितार के तारों ने श्रोताओं को झंकृत कर दिया, वहीं पद्मश्री सुमित्रा गुहा के क्लासिकल दोनों पर बने भजनों ने माहौल भक्ति के साथ-साथ संगीतमय भी बना दिया। इनके साथ ही, सुप्रसिद्ध भजन गायक ओम प्रकाश श्रीवास्तव और ओम प्रकाश नायक ने भी अपने शानदार भजनों से श्रोताओं का दिल जीत लिया। बीकानेर के लीजेंड कलाकार राजेंद्र जोशी ने राग मालकोश पर ऑल आपके साथ जोड़ा झाला और मध्य लय की पेशकश देकर खूब वाहवाही लूटी। उन्होंने मिश्र सिंध भैरवी धुन से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। आंध्र प्रदेश की पहली हिंदी क्लासिकल सिंगर पद्मश्री सुमित्रा गुहा ने राग भूपाली में हर हर हर शंभू नमामि..., ब्रह्मानंद लिखित भजन जय जय जय शुंभ विदारिणी माता भवानी... देश राग में पेश किया। इसके साथ ही उन्होंने मैं तो सांवरे संग रांची... और अन्य क्लासिकल भजनों से न सिर्फ माहौल भक्तिमय बनाया, बल्कि मौजूद तमाम शामयिन का मन मोह लिया।
इससे पूर्व, प्रसिद्ध भजन गायक ओम प्रकाश श्रीवास्तव ने जय दुर्गे दुर्गति परिहारिणी... भजन के साथ ही मीरा के भजन प्रभु जी मेरे अवगुण चित ना धरो... की खूबसूरत प्रस्तुति दी। उन्होंने मृत्यु की शाश्वतता को जाहिर करता कबीर का भजन करले श्रृंगार चतुर अलबेली... सुनाया तो श्रोता भाव विभोर हो गए। श्रीवास्तव ने हे राम तुम्हारी रामायण से सारा जग है उजियारा... और हनुमान जी के भजन सीने में जिनके राम सिया हो मुख में श्री राम, ऐसे बजरंग बली को बारंबार प्रणाम... जैसे भजनों से लयबद्धता और सुरों की साधना का जो उदाहरण पेश किया उससे तमाम श्रोता वाह-वाह कर उठे।
स्थानीय भजन गायक ओम प्रकाश नायक ने हरीश रोहित लगाई हो तो मिट गए हो अभिमान... के साथ ही मीराबाई के भजन थारी नगरी में तो राणा जी साधु नहीं सा... की प्रस्तुति देकर मौजूद मेहमानों और स्थानीय श्रोताओं का दिल जीत लिया। कार्यक्रम में भजनों के अलावा भगवान श्री जगन्नाथ को समर्पित ओडिशा का प्रसिद्ध नृत्य गोटीपुआ भी पेश किया गया, जिसे तमाम लोगों ने खूब सराहा।
इस मौके पर केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव अमिता प्रसाद सर भाई, वेस्ट जोन कल्चरल सेंटर की निदेशक किरण सोनी गुप्ता, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के उपसचिव राजेंद्र खींची और साउथ सेंटर जॉन कल्चरल सेंटर के निदेशक दीपक ने सभी कलाकारों को स्मृति चिन्ह भेंट करके सम्मानित किया।
विदेशी भी नहीं रोक पाए खुद को...
कार्यक्रम के दौरान जब राजेंद्र जोशी का सितार वादन और पद्मश्री सुमित्रा गुहा का क्लासिकल म्यूजिक देशनोक में गूंजा तो स्थानीय ही नहीं, विदेशी भी खींचे चले आए। तकरीबन डेढ़ दर्जन विदेशी सैलानियों ने शामियाने में बैठकर भजनों का आनंद लिया। इनमें इटली की अलेक्जेंड्रा और फ्रांस की करीना ने बताया कि वह पद्मश्री सुमित्रा गुहा को जानती हैं उन्हें सुन चुकी हैं, इसीलिए उनकी आवाज सुनते ही वह खिंची चली आई। इनके साथ ही अमेरिका के वेड जॉनसन और जीन जॉनसन ने बताया कि यह म्यूजिक का आकर्षण है, जो उन्हें यहां खींच लाया। इन विदेशियों ने बताया कि हिंदी भले ही न जानें, लेकिन संगीत किसी भी मुल्क में संगीत ही होता है, उसकी भाषा सिर्फ संगीत है और वह दिलों को जोड़ देता है।