राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव-लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने जमाया रंग-जीता मरुधरा का दिल
बीकानेर। देश-विदेश में विख्यात लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने अपने लोक गीतों और नॉन स्टॉप डांस की धमक से यहां डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में मौजूद हजारों दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अवधी, बुंदेली और भोजपुरी में महारथ रखने वाली इस सुप्रसिद्ध सिंगर ने ठुमरी और कजरी में जबरदस्त पकड़ दिखा जहां श्रोंताओं को तालियां बजाने और वाहवाही के लिए विवश कर दिया, वहीं होली के इस मौसम में होली के लोक गीतों से ऐसा समां बांधा कि दर्शक भी होली के रंगों से सराबोर हो गए।उनके कार्यक्रम कार्यक्रम के आगाज से पूर्व केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने उनसे प्रियतम तोरे संग चलूं थामूगी तलवार.... गाने की फरमाइश की।
उन्होंने अपने प्रसिद्ध गीतों मैया खोली ना..., राजा दशरथ जी के घरवा... से जहां भक्ति का रंग जमाया, वहीं रेलिया बैरन पिया, छोटे से नन्हे से हमका मिले बालम जैसे लोक गीतों से नायिका की विवशता के साथ—साथ रोमांस का अनुभव भी कराया। जब उन्होंने रंगी गुलाबी चुनरिया, रंग डारूंगी नंद के लालन पे, होली खेलें मसाने में पेश किए तो तमाम शामइन झूम उठे। उन्होंने नॉन स्टॉप लोक नृत्य से भी जबरदस्त रंग जमाया। मैं तो सोय रही सपने में मोपे रंग डारो..., चलो गुइया आज खेलें होरी..., आज बिरज में होली..., रसिया को नार बनावो री रसिया को..., रंगवा अबीर खेलत भिजली... पर तो दर्शकों का मन ही नहीं मोहा, बल्कि साथ नाचने और सुर में सुर मिलाने को विवश कर दिया। वहीं, जब होरी खेली रघुबीरा अवध में... और जोगीरा जैसे जुबां-जुंबा पर चढ़े गाने और डांस पेश किया तो दर्शक सुध-बुध भूल होली के रंग में रंगे नजर आए। मालिनी ने मरुधरा को दिल जीत लिया।