राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसन्धान केंद्र की अभिनव तकनीक से देश-विदेश में पहुंचेगा ऊँटनी का दूध।
एनआरसीसी, बीकानेर द्वारा एएसडी राजस्थानी डेयरी प्रोडक्ट्स प्रा. लिमिटेड को नूतन तकनीक हस्तांतरित।
बीकानेर। भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र और एएसडी राजस्थानी डेयरी प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड बीकानेर के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन किया गया है। यह समझौता ज्ञापन एनआरसीसी के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित ऊँटनी के दूध पाउडर बनाने की उन्नत तकनीक के लाइसेंस के संबंध में है। समझौते पर केंद्र के निदेशक डॉ आर्तबन्धु साहू और एएसडी राजस्थानी डेयरी प्रोडक्ट्स प्रा. लि. के निदेशक सुनील कुमार शर्मा ने हस्ताक्षर किए। अब इस नवीन प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से, ऊँटनी का दूध पाउडर, पूरे देश में उपलब्ध हो सकेगा तथा गुणवत्ता युक्त पाउडर बाहरी देशों को भी निर्यात किया जा सकेगा।
डॉ. योगेश कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक और इस तकनीक के प्रमुख आविष्कारक ने कहा कि ऊँटनी के दूध के प्रसंस्करण के लिए पारंपरिक दूध प्रसंस्करण विधियों का सीधे उपयोग नहीं किया जा सकता है क्योंकि इसकी अलग विशेषताएं हैं, इसलिए वे ऊँटनी के दूध के प्रसंस्करण के लिए नवीन तकनीकों के विकास पर काम कर रहे हैं ताकि ऊँटनी के दूध से गुणवत्ता वाले विभिन्न उत्पाद बनाये जा सकें।
इस अवसर पर एएसडी राजस्थानी डेयरी प्रोडक्ट्स प्रा. लिमिटेड के निदेशक सुनील कुमार शर्मा ने बताया कि कंपनी वर्तमान में मुख्य रूप से ऊँटनी के दूध के उत्पादों के कारोबार में लगी हुई है और विभिन्न देशों को ऊँटनी के दूध के उत्पादों का निर्यात भी कर रही है। कंपनी का इरादा ऊँटनी के दूध के गुणवत्तापूर्ण उत्पादों को बाजार में लाना है ताकि जरूरतमंद और आम लोगों को इसका लाभ मिल सके और उत्पाद की कम गुणवत्ता होने से निर्यात के अवसर छूट न जाएं।
डॉ योगेश कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक, प्रभारी, डेयरी प्रौद्योगिकी और प्रसंस्करण इकाई तथा प्रभारी, संस्थान प्रौद्योगिकी प्रबंधन इकाई, ने इस तकनीक के हस्तांतरण में मदद की । डॉ. आर.के. सावल, प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. वेद प्रकाश (प्रभारी, पीएमई सेल), और एएसडी राजस्थानी डेयरी प्रोडक्ट्स प्रा. लिमिटेड के प्रतिनिधि भी इस अवसर पर उपस्थित थे।