बिश्नोई समाज द्वारा दुबई में आयोजित अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन अभूतपूर्व सफलता के साथ सम्पन्न।
दुबई। पर्यावरण संरक्षण को अपना धर्म मानकर भारत भूमि पर पिछले साढ़े पांच सौ सालों से सेवा कर रहा बिश्नोई समाज ने पहली बार इस पर्यावरणीय संदेश को विश्व स्तर पर प्रचारित करने के लिए अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा मुकाम,जाम्भाणी साहित्य अकादमी बीकानेर, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर की गुरु जम्भेश्वर पर्यावरण संरक्षण शोधपीठ तथा गमबुक एनजीओ दुबई के तत्वावधान में दुबई में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया जो अभूतपूर्व सफलता और अविस्मरणीय यादों के साथ 5 फरवरी को संपन्न हुआ। अखिल भारतीय बिशनोई महासभा के सरंक्षक बिशनोई रत्न चौधरी कुलदीप बिशनोई ने बताया कि सहज,सरल और सादगीपूर्ण जीवन के साथ हमें न्यूनतम सुविधाओं के साथ जीवन का अधिकतम आनंद मनाना होगा। अखिल भारतीय बिशनोई महासभा के अध्यक्ष देवेंद्र बुड़िया ने बताया कि अगर धरती पर जीवन को बचाना है तो जीवनशैली का बिश्नोई प्रतिरूप सबसे उपयुक्त है और विश्व को इसे अपनाना चाहिए। देवेंद्र ने यूएई सरकार से समाज के लिए पर्यावरण, व्यवसाय, रोज़गार में सहयोग आदि के लिए भी निवेदन किया।
कार्यक्रम के संयोजक रमेश बाबल ने बताया कि वैश्विक पर्यावरणीय चुनौतियाँ और बिश्नोई समाज के सिद्धांतों में समाधान विषय पर आयोजित इस सम्मेलन में 60 उत्कृष्ट विद्वानों ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत करते हुए समवेत स्वरों में विश्व को चेताया कि पिछले लगभग पचास सालों में प्रकृति का अंधाधुंध विनाश हुआ है। समय रहते हमने पर्यावरण संरक्षण के लिए गंभीर प्रयास नहीं किया तो धरती समस्त जीव प्रजातियां का जीवन खतरे पड़ जाएगा। जाम्भाणी साहित्य अकादमी की अध्यक्षा डॉक्टर इंद्रा ने बताया कि हमें धरती पर अधिक से अधिक वृक्ष लगाने होंगे, लगे हुए वृक्षों का प्राणपण से संरक्षण करना होगा। इसके लिए दुबई में भी अमर शहीद अमृतादेवी बिश्नोई पर्यावरण पार्क की स्थापना का संकल्प लिया गया और इसकी शुरुआत करते हुए खेजड़ली के शहीदों की याद में 363 खेजड़ी वृक्षों का वृक्षारोपण किया गया।
सम्मापन समारोह में अति विशिष्ट मेहमान शेख माजिद राशिद अल मुअल्ला एवं उनकी टीम जिसमे डॉक्टर कबीर, हफ़ीज़ा इब्राहिम, खालिद अल बलोशी एवं अन्य सदस्य मौजूद थे । अति विशिष्ट मेहमान शेख माजिद राशिद अल मुअल्ला की तरफ़ से यह घोषणा हुई कि यूएई में बिशनोई समाज को तीन लाख एवं पचास हज़ार स्क्वायर फीट ज़मीन पौधारोपण, पर्यावरण एवं उसके सरंक्षण के लिए दी जाएगी।
बिशनोई महासभा के संरक्षक बिश्नोई रत्न चौधरी कुलदीप बिश्नोई, महासभा के अध्यक्ष देवेन्द्र बुड़िया,जाम्भाणी साहित्य अकादमी की अध्यक्षा डॉ इंदिरा बिश्नोई, शोधपीठ के निदेशक डॉ ओमप्रकाश बिश्नोई, सम्मेलन के संयोजक रमेश बाबल ने सभी विद्वानों, प्रतिभागियों और इस सम्मेलन को सफल बनाने हेतु परिश्रम करने वाले सभी महानुभावों का धन्यवाद और आभार व्यक्त किया।