पुस्तक विश्व शक्तिपीठ कोश एक मार्मिक यात्रा-मेरी नजर में-राजाराम स्वर्णकार
पुस्तक विश्व शक्तिपीठ कोश एक मार्मिक यात्रा-मेरी नजर में-राजाराम स्वर्णकार
अहर्निश सेवामहे यानी रात-दिन सेवा में लगे रहने की बात। किसकी सेवा ? किसी व्यक्ति, समुदाय, प्रदेश या देश की ? परिवार, उद्योग-व्यवसाय, सम्पति के अर्जन या संरक्षण की ? किसी धार्मिक, राजनीतिक, अथवा अन्य अनुष्ठानिक कर्म की; नहीं, तो फिर किसकी ? यह अद्वितीय सेवा शब्द और शब्द के पूजा भाव की है; शब्द और शब्द की साधाना की है; शब्द और शब्द के प्रति समर्पित आस्था की है तथा शब्द और ब्रह्मत्व के सहचर्य की है। और इसी सेवा में विश्व शक्तिपीठ कोश एक मार्मिक यात्रा पुस्तक सभी के सामने आयी है। लेखिका मंजु मंडोरा द्वारा अपने भावों से लिखित यह एक धार्मिक पुस्तक है। इसमें भारतीय उपमहाद्वीप के अंतर्गत छ: देशों (भारत, नेपाल, तिब्बत, पाकिस्तान, बांग्ला देश और श्रीलंका) में फैले हुए 52 शक्तिपीठ में देवी दुर्गा के पावन और पवित्र तीर्थों के बारे में विस्तार से बताया गया है। आलेख के बाद सभी शक्तिपीठों को काव्यमयी प्रस्तुत किया गया है। इस पुस्तक को पढ़ने से पाठक इन छ: देशों में स्थित 52 शक्तिपीठों का घर बैठे दर्शन कर, इनके बारे में विस्तार से जानकर ऐसा महसूस करेंगे कि हमने इन शक्ति स्थलों का हूबहू धार्मिक आस्था के साथ भ्रमण कर लिया है। इस अर्थयुग में जहां सुविधाओं की कोई कमी नहीं है वहीं मानव को धार्मिक क्रियाकलापों हेतु बिलकुल भी समय नहीं है। जहां आस्था होती है वहां रास्ता भी निकल आता है और ऐसी मान्यता भी है कि इन शक्ति स्थलों का गुणगान करने मात्र से मनुष्य के समस्त पापों का क्षय होकर अश्वमेघ यज्ञ करने जितना फल मिलता है। मेरा मानना है कि इस पुस्तक को मन लगाकर पढ़ने से आप घर बैठे ही ऐसा महसूस करेंगे कि हमने सपरिवार इन सभी शक्तिपीठों के साक्षात दर्शन कर लिए हैं।
पांच खण्डों में विभक्त इस पुस्तक के प्रथम खंड में कथानक, महिमा, कथासार है। दूसरे खंड में प्रथम पूज्य भगवान गणेशजी के भजन हैं। तीसरे खंड में 52 शक्तिपीठों पर विस्तार से जानकारी एवं भजन - किरीट शक्तिपीठ, कात्यायनी शक्तिपीठ, शर्करार शक्तिपीठ, पर्वत शक्तिपीठ, श्री पर्वत शक्तिपीठ, विशालाक्षी शक्तिपीठ, गोदावरी तट शक्तिपीठ, शुचिंद्रम शक्तिपीठ, पंचा सागर शक्तिपीठ, ज्वालामुखी शक्तिपीठ, भैरव पर्वत शक्तिपीठ, अट्टहास शक्तिपीठ, जनस्थान शक्तिपीठ, अमरनाथ शक्तिपीठ, नन्दीपुर शक्तिपीठ, श्री शैल शक्तिपीठ, नाल्हाती शक्तिपीठ, मिथिला शक्तिपीठ, रत्नावली शक्तिपीठ, अम्बाजी शक्तिपीठ, त्रिपुर मालिनी शक्तिपीठ, रामगिरी शक्तिपीठ, बैध्यनाथ शक्तिपीठ, वक्रेश्वरी शक्तिपीठ, कन्याकुमारी शक्तिपीठ, बहुला शक्तिपीठ, उज्जैनी शक्तिपीठ, मणिवेदिका शक्तिपीठ, प्रयाग शक्तिपीठ, विरजा क्षेत्र शक्तिपीठ, कांची शक्तिपीठ, कालमाधव शक्तिपीठ, शोण शक्तिपीठ, कामाख्या शक्तिपीठ, जयंति शक्तिपीठ, मगध शक्तिपीठ, त्रिस्तोता शक्तिपीठ, त्रिपुर सुन्दरी शक्तिपीठ, विभाष शक्तिपीठ, देवीकूप शक्तिपीठ, युगाध्या शक्तिपीठ, विराट शक्तिपीठ, कालीघाट शक्तिपीठ, मानस शक्तिपीठ, इन्द्राक्षी शक्तिपीठ, गण्डकी शक्तिपीठ, गुह्येश्वरी शक्तिपीठ, हिन्गालाज्शाक्तिपीठ, सुगन्धा शक्तिपीठ, करतोया घाट शक्तिपीठ, चट्टहल शक्तिपीठ, यशोर शक्तिपीठ और जयदुर्गा शक्तिपीठ के साथ सात अन्य शक्तिपीठों (ताराचंडी, तारापीठ, नैनादेवी, चिंतपूर्णी देवीधाम, अर्बुदांचल,देवीधुरा पीठ, और सुरकंडा देवी शक्तिपीठ) के बारे में विस्तार से बताया गया है।
खंड चार में मंत्र एवं ध्यान के अंतर्गत दस महाविद्या (मंत्र व ध्यान), दस महाविद्या स्तोत्रं, श्रुति, वेद, श्लोक, स्मृति, उपनिषद, पुराण, उप पुराण, सात समुद्रों के प्राचीन नाम, जम्बूद्वीप के नौ खंड, भारत वर्ष के प्रमुख सात पर्वतों के नाम, भारत वर्ष की दस प्रमुख नदियाँ, भारत वर्ष के पवित्र पांच सरोवरों के नाम, आदिदेव महादेव के प्रसिद्ध बारह ज्योतिर्लिंग के नाम, भागवत में वर्णित 108 शक्तिपीठों के नाम व स्थान, बावन भैरव स्तुति और वर्णमाला उत्पति श्लोक पर भी विस्तार से प्रकाश डाला गया है।
इस पुस्तक में लोक रंग को विस्तारित करते हुए लेखिका बताना चाहती है कि इस युग से पहले भी आदिलोक के अंतर्गत पहाड़ों, गुफाओं, जीव-जंतुओं से सीमित साधनों में भी आदमी नए प्रयोग करता रहा है। लोक में रचा-बसा आदमी साधू-संतों, ऋषि मुनियों के आहार-विहार से बहुत कुछ सीखा है। समाज में लोक का काफी महत्त्व है। वह एक अपार समुन्द्र की भांति है जिसमें वर्तमान, भूत और भविष्य तीनों समाहित हैं। 9 जनवरी को श्री ब्राहमण स्वर्णकार पंचायती भवन में इस पुस्तक का लोकार्पण स्वामी विमर्शानंद गिरि, प्रसिद्ध कथा वाचक मुरली मनोहर व्यास, संगीताचार्य ज्ञानेश्वर सोनी द्वारा किया गया |
पुस्तक लेखिका मंजु मंडोरा का जन्म बीकानेर के धार्मिक आस्था से परिपूर्ण एक सभ्रांत परिवार में हुआ है। आपके पतिदेव श्री आशाराम सोनी स्वर्ण पर एंटीक कारीगरी का काम करते हैं। मंजु मंडोरा की अभिरुचि काव्य, गीत, छंद दोहा, निबंध लेखन, गायन अध्ययन एवं घरेलू कार्य करने में है। इससे पहले आपकी पुस्तकें दो भागों में गणगौर के गीत, देवी भजनों पर आधारित पुस्तक ‘आराधना’ प्रकाशित हो चुकी है और अन्य गीत एवं भजन पुस्तकें प्रकाशनाधीन है। आपकी अभिलाषा योग पर शोध करने की है। यह पुस्तक पूर्वापेक्षा अधिक वजनदार है; संरचना में संवेदना विन्यस्त करने वाली है; सोच के गहरे संस्कार देने वाली है; शब्द को जीवन की लय से, समय की लय से और विचार-दर्शन की लय से जोड़ने वाली है यानी परिपक्वता को अभिव्यक्त करने वाली पुस्तक है। यह मात्र धार्मिक पाठ्य पुस्तक न होकर श्राव्य हैं, दृश्य है | समय और हृदय की धड़कनों को संजोने वाली हैं। अंत में इतना ही कहूंगा कि इस शब्द पूजा में अहर्निश लगे रहो। लेखनी में निरंतर निखार आ रहा है। एक गृहस्थ धर्म का पालन करते हुए, मानसिकता को ऊँचाइयां प्रदान करते हुए और परिवार को सम्भालते हुए बराबर लिखने और सारगर्भित लिखने से अधिक लेखक की और क्या सिद्धि हो सकती है ? आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं कि आप अपना लेखन जारी रखते हुए और उत्कृष्ट लेखन करें।
राजाराम स्वर्णकार
शिव निवास, बर्तन बाजार, बीकानेर
मोबाइल-9314754724
पुस्तक-विश्व शक्तिपीठ कोश एक मार्मिक यात्रा
लेखक- मंजु मंडोरा
प्रकाशक- सूर्य प्रकाशन मंदिर, बीकानेर
पृष्ठ-287
मूल्य- Rs.-400/
संस्करण-2023