नहीं रहीं प्रथम शिक्षित मुस्लिम महिलाओं में शुमार सैयदा लतीफ़न बानों।
बीकानेर की प्रथम शिक्षित मुस्लिम महिलाओं में शुमार मुहतरमा सैयदा लतीफ़न बानों का आज 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया। बीकानेर की अज़ीम हस्ती और जाने-माने चिकित्सक और समाजसेवी रहे स्व. डॉक्टर सैयद मुहम्मद अली ज़ैदी की साहिबज़ादी मुहतरमा सैयदा लतीफ़न बानों को हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू व अरबी सहित कई भाषाओं का ज्ञान था। उनके पीहर के परिवार द्वारा बीकानेर में प्रथम मुस्लिम स्कूल का संचालन किया गया, वहीं उनके ससुराल द्वारा बीकानेर शहर में पहले मदरसा का आग़ाज़ किया गया। इस बात का अन्दाज़ा यूँ लगाया जा सकता है कि जिस ज़माने में आम लोग अपने लड़कों को स्कूल नहीं भेजा करते थे, उस ज़माने में ज़ैदी परिवार की लड़कियां स्कूल में शिक्षा हासिल कर रही थी। उनके पीहर का परिवार इस्लाम के आख़िरी पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैही व आलैही वसल्लम का वंशज और उनके नवासे हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की औलाद में से है और शाही हुकूमत के दौरान उनके पूर्वज बीकानेर आये थे तथा शाही दरबार में उन्होंने राज हकीम के तौर पर अपनी सेवाएं दीं।
अपने पीहर की परम्पराओं पर चलते हुए उन्होंने मुस्लिम समाज मे शिक्षा के प्रति अलख जगाकर लोगों में जागृति पैदा की, जिसके नतीजे में आज हज़ारों परिवार अपनी बेटियों को शिक्षा दिला रहे हैं। 1928 में जन्मी लतीफन बानो उस जमाने में भी विवाह के पश्चात भी स्कूल जाती रही। शिक्षा की ज्योति घर घर पहुंचाने के लिए आपने काफी मेहनत की। आप अपने पीछे तीन पुत्रों वह चार पुत्रियों सहित भरा पूरा परिवार छोड़कर गई है। आपके छोटे पुत्र साहित्यकार व समाजसेवी अब्दुल रऊफ राठौड़ मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस मैं अपनी सेवाएं दे रहे हैं, वही आपकी पुत्री पर्यावरण संरक्षण के लिए महामहिम राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित है ।