सन्त मीराबाई की पुण्यतिथि पर सुजानदेसर धोरे पर गूंजे गीत-कविताएं।
बीकानेर। संत श्री मीराबाई की 46 वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कवि सम्मेलन की अध्यक्षता समाज सेविका, कांग्रेस नेत्री उमा सुथार ने करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि मीराबाई धोरा ट्रस्ट जंगल में मंगल कर रहा है। पहले जहां रेत के धोरे ही धोरे थे वहां आज चहुंओर हरियाली नजर आ रही है । मुख्य अतिथि स्वामी डॉक्टर चिन्मयानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि जीवन में प्रकृति-संस्कृति संयत होकर जीने के तरीके बताती है । शब्द को ब्रह्म कहा गया है अतः इनका सदुपयोग जरूरी है। स्वामी चिन्मयानन्द ने शब्दों के उच्चारण का महत्व बताया। मधुर स्वर कोकिला मनीषा आर्य सोनी ने सरस्वती वंदना करते हुए अपनी रचना-गंगा गीता गाय गायत्री जय गौरीगौपाल की सुनाकर कवि सम्मेलन का आगाज किया।
कवि नेमचंद गहलोत ने-चालो मीरा बाई रै धाम, कवि राजाराम स्वर्ण कार ने-सम्भव हो तो त्राण करो, असहायों और अनाथों का तुम किंतु विनीत रहो, घमण्ड की छाया तक को दूर भगाओ और जिंदगी के मर्म को अब तक समझ पाया नहीं सुनाकर तालियां बटोरी। बाबू बम चकरी ने कुचरनी रा रंग हजार और म्हारी मां पढी लिखी कोनी, पण म्हारी मां जैड़ी मां म्है देखी कोनी, विप्लव व्यास ने रैई पीड़ री पीड़, आ छीब बीं री सुनाकर उपस्थित जन समुदाय को सोचने पर मजबूर कर दिया। ग्रामीणों से खचाखच भरे पंडाल में एक से बढ़कर एक कविता-गीतों पर भरपूर दाद मिली। मीरां बाई धोरा ट्रस्ट की तरफ से अतिथियों एवं कवियों का माला, शॉल भेंटकर सम्मान किया गया। स्वागत करने वालों में सांवरलाल गहलोत, लखुराम गहलोत, अनूप चंद टाक, आसुराम कच्छावा मुख्य थे।
मीराबाई धोरा ट्रस्ट के अध्यक्ष मिलन गहलोत ने बताया कि मीराबाई जब स्वयं उपस्थित जीवित थी तब उन्होंने महिलाओं के सामाजिक विकास पर बड़ा कार्य किया। उनको शिक्षा के साथ धर्म पर चलने की राह बताई जिससे उनका प्रभाव आज भी गांव में कायम है। उपनगर क्षेत्र की महिलाएं धार्मिक कार्यों में कभी भी पीछे नहीं रहती और धर्म परायण बन गई। सियाराम गहलोत, अशोक कच्छावा, शंकरलाल प्रजापत, बंसी कच्छावा, हरिकिशन सैन, दुलीचंद गहलोत, तुलसीराम गहलोत महावीर प्रसाद सैन, आशुराम कच्छावा, मुमताज शेख, मुमताज बानो, मधुबाला, मंजू गोस्वामी, तुलसीराम गहलोत, महावीर गहलोत के साथ सभी मंदिर से जुड़े कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग दिया।