पहले भी कब भला था अगर तू बुरा है आज-तरही मुशायरे में शाइरों ने लूटी दाद।
बीकानेर। पर्यटन लेखक संघ-महफिले अदब के साप्ताहिक अदबी कार्यक्रम की 560 कड़ी में मासिक तरही मुशायरा-6 में शहर के शाइरों ने पीर रहमतुल्लाह रौनक़ नागौरी के मिसरे पर ताज़ा ग़ज़लें सुना कर दाद लूटी। मिसरा था-पहले भी कब भला था अगर तू बुरा है आज। स्व. उपध्यानचन्द्र कोचर की जयंती के उपलक्ष में ये कार्यक्रम कोचर को समर्पित रहा।
सदारत करते हुए वरिष्ठ शाइर ज़ाकिर अदीब ने ग़ज़ल सुना कर वाह वाही हासिल की-
मतलब परस्त हैं जो कोई और लोग हैं,
मेरा जो आप से था वही सिलसिला है आज।
मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त एडीआरएम निर्मल कुमार शर्मा ने इशारों में अपनी बात रखी-
उफ खौफ का मंजर ये कैसा आसमां में है,
पंछी क़फ़स से ना निकलना चाहता है आज।
आयोजक संस्था के डा ज़िया उल हसन क़ादरी ने अपने शेर में आईना दिखाने का काम किया-
हैरत मुझे नहीं है जो तूने किया है आज,
पहले भी कब भला था अगर तू बुरा है आज।
राजस्थान उर्दू अकादमी सदस्य असद अली असद ने यज़ीदे वक़्त की तरफ इशारा किया-
पल पल यज़ीदे वक़्त का है सामना अभी,
दुनिया नहीं है जैसे कोई कर्बला है आज।
शाइर अब्दुल जब्बार जज़्बी ने दुनिया को जो दिया वही तो मिला है आज, इम्दादुल्लाह बासित ने कितनी अजीब बात है कि वो बेवफा है आज, क़ासिम बीकानेरी ने इंसान ने सीख ली कैसी अदा है आज व हनुमन्त गौड़ नज़ीर ने गिर गिर के हम उठे हैं सब बेवफा हैं आज सुना कर प्रोग्राम को आगे बढ़ाया। असद अली असद ने स्व. उपध्यानचन्द्र कोचर के व्यक्तित्त्व कृतित्व पर रोशनी डाली और कार्यक्रम का सफल संचालन भी किया।