सुख़नवरों ने रोशन की अदब की महफ़िल।
बीकानेर। पर्यटन लेखक संघ-महफिले अदब की साप्ताहिक काव्य गोष्ठी की 559 वीं कड़ी में रविवार को होटल मरुधर हेरिटेज में हिंदी उर्दू के रचनाकारों ने कलाम पढ़ कर दाद लूटी।
अध्यक्षता करते हुए डूंगर महाविद्यालय में उर्दू की विभागाध्यक्ष डॉ अस्मा मसऊद ने कहा कि पर्यटन लेखक संघ की गोष्ठियों से बीकनेर में साहित्य को बढ़ावा मिल रहा है।उन्होंने कहा कि इन गोष्ठियों की वजह से परिष्कृत साहित्य सामने आ रहा है। उन्होंने इसे समय की आवश्यकता बताया।
वरिष्ठ शाइर ज़ाकिर अदीब ने दिल पर शेर सुनाए-
दिल की बात ही सुनते हैं,
अपना तो है रहबर दिल।
डॉ ज़िया उल हसन क़ादरी ने तरही ग़ज़ल पेश कर दाद लूटी-
एक इक गोशे की,दीवार की,दर की सूरत-
उनके आते ही बदल जाती है घर की सूरत।
राजस्थान उर्दू अकादमी सदस्य असद अली असद ने मुहब्बत का बयां उसकी ज़ुबाँ से, इम्दादुल्लाह बासित ने देखते ही उस रूखे ज़ेबा पे प्यार आने लगा, प्रो नरसिंह बिनानी ने नैनों की भाषा सभी में अंतर खूब समझती और डॉ जगदीशदान बारहठ ने ख्वाबों की कोई दुनिया आबाद करें फिर से से सुना कर महफ़िल को आगे बढ़ाया।
संचालन डॉ ज़िया उल हसन क़ादरी ने किया।