युवा रचनाकार डाॅ. कौशल्या नाई की सद्य प्रकाशित दो कृतियों का विमोचन.



लोक अध्येता कीर्तिशेष डाॅ. श्रीलाल मोहता की पावन स्मृति में आयोजित
कला-सृजनमाला की सातवीं मासिक कड़ी.


बीकानेर। डायरी में क्या-क्या होना चाहिए। इसे परिभाषत भले ही नहीं किया जा सके, लेकिन जो नहीं होना चाहिए उसे लेकर हर डायरीकार को सचेत रहना चाहिए, ये उद्बोधन प्रख्यात साहित्यकार एवं चिंतक राजाराम भादू ने परम्परा और बीकानेर प्रौढ़ शिक्षण समिति के सह आयोजन में कला-सृजनमाला की सातवीं मासिक कड़ी के तहत 16 दिसम्बर को स्थानीय प्रौढ़ शिक्षा भवन सभागार में आयोजित युवा रचनाकार डाॅ. कौशल्या नाई की सद्य प्रकाशित दो कृतियों के विमोचन समारोह में मुख्यवक्ता के रूप में सुधि श्रोताओं के समक्ष अभिव्यक्त किए।
अपने वक्तव्य के तहत भादू ने कहा कि राजस्थान का डायरी साहित्य विषय पर लिखी कौशल्याजी की किताब राजस्थान के डायरीकारों की पड़ताल करती है, जिनकी शर्त साहित्यकार भी होना है। हालांकि वे यह मानती है कि डायरी लेखन के लिए लिखने वाले का लेखक होना जरूरी नहीं है। लेकिन छंटनी लेखकों में से ही हुई है। इस तरह के डायरीकारों की संख्या बहुत है। इसमें से कुछ सिर्फ इसलिए डायरी लिख पाये क्योंकि वे अपने मन में आये उत्तेजित विचारों को लेखनी के माध्यम से अनुभव कर सके। समारोह में भादू का माल्यार्पण कर शाॅल एवं स्मृति चिह्न प्रदान कर स्वागत किया गया।
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए वरिष्ठ साहित्यकार मधु आचार्य ने कहा कि युवा रचनाकार कौशल्या नाई इन कृतियों में नैतिक शिक्षा के पहले सोपान को शुरू किया है। कौशल्या जी के डायरी विद्या पर इस तरह के अध्ययन का स्वागत होना चाहिए क्योंकि भले ही यह एक शोध अध्ययन हो, दरवाजा तो खुलता ही है। इन कृतियों के लिए कौश्याल्या जी को बधाई और डाॅ. ब्रजरतन जोशी का आभार जिन्होंने अनछुए पहलू को न सिर्फ उठाने के लिए प्रेरित किया बल्कि पूरा करवाने में अपनी निर्णायक भूमिका निभाई।
विमोचित कृतियों पर पत्रावाचन करते हुए युवा साहित्यकार हरीश बी. शर्मा ने कहा कि जो लोग विधाओं को समझना चाहते हैं, उनके लिए यह किताब मील का पत्थर साबित होगी। कम से कम वे साहित्यकार जो इस विधा में आजमाइश को समझना चाहते है, एक बार इस किताब से निकलना ही चाहिए। इन दोनों ही किताबों को मैं इस रूप में भी जरूरी मानता हूं कि इससे साहित्य में जगह बना रही डायरी विधा पर पहली बार इतना विस्तृत और विवेचनात्मक कार्य सामने आया है।
सान्निध्य उद्बोधन में बीकानेर प्रौढ़ शिक्षण समिति के अध्यक्ष डाॅ. ओम कुवेरा ने कहा कि कला सृजनमाला के आयोजनों में आप सभी सुधिजन इसी प्रकार हमारा उत्साह बढ़ाते रहें।
आगंतुकों के प्रति आभार जन शिक्षण संस्थान के कार्यक्रम अधिकारी महेश उपाध्याय द्वारा आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।
आयोजन में बीकानेर प्रौढ़ शिक्षण समिति के उपाध्याय अविनश भार्गव, जन शिक्षण संस्थान के उपाध्यक्ष गिरिराज मोहता सहित शहर के प्रबुद्धजन एवं साहित्यकारों सहित संस्था के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं ने सक्रिय सहभागिता निभाई।


2022-12-16 21:18:49