मंत्री बनने के जुगाड़ में मतदाता से दूर होते चले गये माननीय।
अनिल सक्सेना-वरिष्ठ पत्रकार और चिन्तक
*जो भी उल्टी-सीधी बयानबाजी करेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के इस निर्देश के बाद राजस्थान कांग्रेस में शांति छा गई।* शायद वेणुगोपाल की यह सख्ती प्रदेश कांग्रेस के लिए जरूरी भी थी।
*साल 2013 से 2018 के भाजपा राज में हुए 8 उपचुनावों में 6 सीटें कांग्रेस ने जीती थी और अब अशोक गहलोत सरकार के समय हुए 9 उपचुनाव में मात्र राजसमंद में भाजपा को जीत मिली और 1 सीट आरएलपी को मिली ।* यहां सवाल यह है कि क्या इन परिणामों से यह माना जाए कि गहलोत सरकार में विपक्ष कमजोर है या यह माने कि गहलोत सरकार बहुत अच्छा कार्य कर रही है।
*सच तो यह है कि गहलोत सरकार ने आमजन के हित में बहुत अच्छी योजनाएं बनाई* और जिस तरह से आमजन को उन योजनाओं का सीधा लाभ मिल रहा है, उससे कांग्रेस सरकार की अच्छी छवि बनी है।
*यहां यह बताना भी जरूरी है कि प्रदेश में कई कांग्रेस विधायकों की स्थिति कमजोर है और कुछ गिनती के कांग्रेस विधायक मजबूत भी हैं। अधिकतर मंत्रियों के उनके ही क्षेत्र में हाल खराब हैं।* यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि अच्छा कार्य कर रही राजस्थान सरकार की छवि को खराब कौन कर रहा है ? क्या इसके जिम्मेदार स्वयं कुछ कांग्रेस नेता या कांग्रेस के ही जनप्रतिनिधि नही हैं ?
*अभी कुछ समय पहले एक साक्षात्कार में चर्चित नेता हार्दिक पटेल बता रहे थे कि गुजरात के प्रभारी रहते हुए रघु शर्मा कांग्रेस की बैठकों में यह बताते थे कि राजस्थान में गहलोत सरकार अच्छा कार्य नही कर रही हैं और इसी कारण आगामी विधानसभा चुनाव में बहुत कम संख्या में विधायक जीत पाएंगे।* इधर इसी तरह की बातेें राजस्थान में दूसरे विधायक भी खुले आम कहते देखे गए। सवाल यह है कि क्या यह बात कहने वाले विधायक स्वयं अपने क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रहे हैं ? क्या वे 2023 के विधानसभा चुनाव में जीत पाएंगे ?
*सवाल तो यह भी है कि क्या गहलोत सरकार अच्छा कार्य नही कर रही है इसलिए कांग्रेस उपचुनाव जीते जा रही है।* गुजरात के प्रभारी बनने से पहले रघु शर्मा कांग्रेस सरकार के ही मंत्री थे, क्या उन्होने अपने कार्यकाल में विवादों में रहने के अतिरिक्त कोई ठोस कार्य किया था ? अब यह कितना सच है लेकिन लोग यह भी बताते हैं कि मंत्री बनने के बाद वे आमजन से भी सीधे मूंह बात नही करते थे। क्या उनका अब और मंत्री रहते समय प्रदेश के अच्छे और ईमानदार अफसरों से विवाद नही रहता है। प्रबद्वजन यह भी बताते हैं कि कोविड का प्रबंधन सीधे मुख्यमंत्री गहलोत ने किया अन्यथा रघु शर्मा के भरोसे रहते तो शायद प्रदेश का हाल बुरा ही होता। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या कुशल संगठक रघु शर्मा एक बार फिर विधानसभा चुनाव जीत पाएंगे ?
*सच तो यह है कि मुख्यमंत्री गहलोत अच्छा कार्य करने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन मतदाता अधिकतर कांग्रेस विधायकों और मंत्रियों से उनकी कार्यशैली के कारण नाखुश है। कई विधायक मंत्री बनने की जुगाड़ में ही लगे रहे और इस कारण क्षेत्र का मतदाता उनसे दूर होता चला गया। प्रदेश में कांग्रेस संगठन पूरी तरह कमजोर है* और इन सबके पीछे कांग्रेस आलाकमान का सख्त नही होना ही है। दूसरा कारण सही बात गांधी परिवार तक नही पहुंचाना भी रहा है।
*गुजरात विधानसभा चुनाव में जिस तरह से भाजपा ने कई विधायकों और मंत्रियों को टिकिट नही दिया,* क्या उसी तरह राजस्थान में कांग्रेस भी वर्तमान में कमजोर कुछ विधायकों और मंत्रियों को टिकिट काट सकने की हिम्मत कर पाएगी ?
*भारत जोड़ो यात्रा से राहुल गांधी की छवि देशभर में राजनीतिक रूप से मजबूत बन रही है और राजस्थान में गहलोत सरकार भी अच्छा कार्य कर रही है, जिसके कारण उपचुनावों में जीत भी मिल रही है ।* क्या इस जीत को 2023 के विधानसभा चुनाव में बरकरार रखने के लिए कांग्रेस आलाकमान सख्त निर्णय ले पाएगी ? वहीं मंत्री बनने के जुगाड़ में और पाॅवरफुल मंत्री बनने के प्रयास में मतदाताओं से दूर होते चले गये विधायकों को भी अब क्षेत्र की ओर चले जाना चाहिए बाकी तो यह मतदाता है, यह सब जानता है।