राजस्थानी के पांच उपन्यासों का हुआ लोकार्पण।
बीकानेर। राजस्थानी के पांच उपन्यासों के लोकार्पण स्थानीय धरणीधर रंगमंच रविवार को वरिष्ठ कवि, नाटककार और आलोचक डॉ.अर्जुन देव चारण ने किया। डॉ.चारण ने इस अवसर पर कहा कि उपन्यास अंतर्मन को खोजने की प्रक्रिया है। कोई भी रचनाकार उपन्यास लिखते हुए इसी रचना प्रक्रिया से निकलता है। अपनी चेतना को जीते हुए रचनाशील रहना ही उपन्यासकार की पहली शर्त है। उसे आत्म सजग रहना बहुत जरूरी है। इस कार्य के लिए उसे बाहर जाने की जरूरत ही नहीं है। उपन्यास अंदर उतरने का अवसर देता है।
डॉ.चारण ने कहा कि सवा सौ साल में राजस्थानी में सबसे कम उपन्यास लेखन हुआ, इसे पश्चिम की विधा माना जाता है। ऐसे में एक साथ राजस्थानी के पांच उपन्यासों का लोकार्पण एक घटना है।
इस अवसर पर मधु आचार्य आशावादी के वार्ड, नगेंद्र नारायण किराडू के कबीरा सोई पीर है, सीमा भाटी के आस री डोर, ऋतु शर्मा के तीजी जात उपन्यास का लोकार्पण हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ समाजसेवी व पूर्व सरपंच रामकिशन आचार्य ने कहा कि राजस्थानी भाषा की मान्यता के आंदोलन को इस तरह साहित्य लेखन से तेजी मिलेगी। राजस्थानी साहित्य जब तक घर-घर नहीं पहुंचेगा, तब तक राजस्थानी भाषा के लिए वातावरण नहीं बनेगा।
उपन्यास वार्ड के लेखक मधु आचार्य आशावादी ने कहा कि पांचों उपन्यास लिखते समय परस्पर संवाद और आलोचना की एक लंबी प्रक्रिया चली, जिसके बाद उपन्यास सामने आया। वार्ड उपन्यास झूठ और मक्कार समाज की प्रतिक्रिया है।
कबीरा सोई पीर है उपन्यास के लेखक नगेंद्र नारायण किराडू ने कहा कि परंपरागत समाज में स्त्री के अस्तित्व के सवाल उठाता यह उपन्यास एक नया मार्ग इंगित करता है।
आस री डोर की लेखिका सीमा भाटी ने कहा कि आस री डोर वस्तुत: एक ऐसी युवती की कहानी है जिसके सपने हैं तो बाधाएं भी कम नहीं।
फांस की लेखिका ऋतु शर्मा ने कहा कि मन में आई एक फांस से व्यक्ति की सोच बदल जाती है। यह कहानी युवतियों की आजादी और निजता का कथानक लिए है।
तीजी जात के लेखक हरीश बी. शर्मा ने कहा कि यह उपन्यास किन्नरों की संवेदना और उनके प्रति समाज के नजरिए को व्यक्त करता है।
प्रारंभ में स्वागत उद्बोधन पत्रकार धीरेंद्र आचार्य ने दिया। आभार पत्रकार अनुराग हर्ष ने स्वीकारा। संचालन कवयित्री-कथाकार रेणुका व्यास नीलम ने किया।
इस अवसर पर धरणीधर ट्रस्ट, प्रज्ञालय संस्थान, राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत, राकेश शर्मा, अंकुर विद्याश्रम ने सभी लेखकों का अभिनंदन किया।
इस अवसर पर विद्यासागर आचार्य, दीपचंद सांखला, ओम कुवेरा, अनिरुद्ध ऊमट, कमल रंगा, राजेंद्र जोशी, ब्रजरतन जोशी, शंकरसिंह राजपुरोहित, नदीम अहमद, संजय जनागल, अजय जोशी, आर के सुतार, संजय पुरोहित, इरशाद अज़ीज़, अमित गोस्वामी, निर्मल कुमार शर्मा, धूमल भाटी, पुरुषोत्तम पलोर, राजाराम स्वर्णकार, कृष्णा आचार्य, विनोद शर्मा, गोपाल सेवग, विनीता शर्मा, कासिम बीकानेरी, वली गौरी, नेमचंद गहलोत, गणेश शर्मा, विजय मोहन जोशी, भंवर पुरोहित, आनंद जोशी, प्रकाश आचार्य,किशन कुमार व्यास, पेंटर धर्मा सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।